IPL में ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ होना चाहिए या नहीं? आखिर धोनी ने तोड़ी चुप्पी

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में साल 2023 में इम्पैक्ट प्लेयर नियम आया था। इस नियम को लेकर लगातार चर्चा जारी है। कई लोगों का मानना है कि ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ की वजह से रोमांच बढ़ा है तो कइयों की राय बिलकुल उलट है। चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के पूर्व कप्तान और दिग्गज विकेटकीपर-बल्लेबाज एमएस धोनी ने भी आखिरकार इम्पैक्ट प्लेयर नियम पर चुप्पी तोड़ दी है। धोनी को शुरुआत में लगा था कि इस नियम की जरूरत नहीं है लेकिन अब उनकी सोच में बदलाव आ चुका है। धोनी का मानना है कि टी20 क्रिकेट इसी तरह से आगे बढ़ा है।इम्पैक्ट प्लेयर नियम के अनुसार, टॉस के बाद हर टीम अपनी प्लेइंग इलेवन के अलावा पांच और खिलाड़ियों के नाम दे सकती है। मैच के दौरान प्लेइंग इलेवन में से किसी एक प्लेयर की जगह दिए गए विकल्प में से खिलाड़ी को शामिल किया जा सकता है। इसे ही ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ कहा जाता है। हालांकि, 43 वर्षीय धोनी ने एक चौंकाने वाला दावा किया है। धोनी खुद को इंपैक्ट प्लेयर नहीं मानते हैं क्योंकि वह अब भी अपनी टीम के पहली पसंद के विकेटकीपर हैं।करिश्माई क्रिकेटर धोनी ने जियो हॉटस्टार से कहा, ‘‘जब पहली बार यह नियम लागू किया गया तो मुझे लगा कि वास्तव में इसकी जरूरत नहीं है। कुछ हद तक इसने मेरी मदद की और नहीं भी की। मैं अभी विकेटकीपिंग कर रहा हूं इसलिए मैं इम्पैक्ट प्लेयर नहीं हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इसके अनुसार ही आगे बढ़ना होगा। कई लोगों का कहना है कि इस नियम के कारण बड़े स्कोर बन रहे हैं लेकिन मेरा मानना है कि खिलाड़ियों की सहज होकर खेलने से ऐसा हो रहा है।’’इस नियम की भारत के टेस्ट और वनडे कप्तान रोहित शर्मा और स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ियों ने आलोचना की है। इन दोनों का मानना है कि इससे ऑलराउंडर प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि टीम इम्पैक्ट प्लेयर की भूमिका के लिए आक्रामक बल्लेबाजों को चुन रही हैं। धोनी ने कहा कि इस नियम से टीमों को कड़ी परिस्थितियों में एक अतिरिक्त बल्लेबाज रखने का मौका मिल रहा है।उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि एक अतिरिक्त बल्लेबाज रखने के कारण बड़े स्कोर बन रहे हैं। यह मानसिकता से जुड़ा है। टीमों के पास अब एक अतिरिक्त बल्लेबाज की सुविधा है, इसलिए वे अधिक आक्रामक तरीके से खेलते हैं।’’ धोनी ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि सभी चार या पांच अतिरिक्त बल्लेबाजों का उपयोग किया जा रहा है, यह सिर्फ उस बल्लेबाज के होने से मिला आत्मविश्वास है। टी20 क्रिकेट इसी तरह विकसित हुआ है।’’