भारत में क्रिकेट खेल नहीं, बल्कि जुनून है

अगर कोई चीज़ भारतीयों के दिल में खास जगह रखती है, तो वो क्रिकेट है! सच कहें तो, भारत में क्रिकेट खेल नहीं, बल्कि जुनून है। गली-मोहल्लों से लेकर स्टेडियम तक, हर जगह क्रिकेट का खुमार दिखता है। लेकिन क्या आपने सोचा कि इसका भारत में आगमन कैसे हुआ? कैसे यह एक दीवानगी बन गया? चलिए, इसी सफर पर चलते हैं।

ब्रिटिशों का तोहफा या चाल?

क्रिकेट का सफर भारत में ब्रिटिश राज के दौरान शुरू हुआ। अंग्रेज़ जब आए, तो अपने साथ क्रिकेट भी लाए। शुरुआत में यह सिर्फ अमीरज़ादों और अंग्रेज़ों का मनोरंजन था। लेकिन भारतीयों को यह भा गया। 1848 में पारसी समुदाय ने ‘ओरिएंटल क्रिकेट क्लब’ की स्थापना की। इसके बाद बाकी भारतीय भी इस खेल में रमने लगे।

अब मामला खेलने तक ही सीमित नहीं था। भारतीयों ने क्रिकेट में महारथ हासिल करनी शुरू कर दी। 1911 में पहली भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड दौरे पर गई। प्रदर्शन खास नहीं रहा, लेकिन शुरुआत धमाकेदार थी।

भारत का पहला टेस्ट और संघर्ष का दौर

1932 में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ पहला टेस्ट खेला। कप्तान सी. के. नायडू के नेतृत्व में भारतीय टीम ने लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर कदम रखा। हालांकि, जीत नहीं मिली। लेकिन भारतीय क्रिकेट का आगाज़ हो चुका था।

तब भारतीय टीम आज जितनी मजबूत नहीं थी। संसाधनों की कमी, अनुभव की कमी और विदेशी टीमों का दबदबा – यह सब बड़ी चुनौतियां थीं। भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी पिचों पर खेलने का ज्यादा अनुभव नहीं था। लेकिन हार मानना तो हमारी फितरत ही नहीं।

कब बदली तस्वीर?

1952 में भारत को पहली टेस्ट जीत मिली, और वो भी इंग्लैंड के खिलाफ! इसके बाद भारतीय क्रिकेट की रफ्तार तेज़ हो गई। 1971 में सुनील गावस्कर और अजीत वाडेकर की टीम ने वेस्टइंडीज़ और इंग्लैंड में जीत दर्ज कर इतिहास बना दिया।

लेकिन असली धमाका 1983 में हुआ। कपिल देव की कप्तानी में भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप जीतकर तहलका मचा दिया। इसके बाद तो क्रिकेट भारतीयों के खून में बस गया। हर गली में बच्चे बल्ला थामे नजर आने लगे। भारतीय क्रिकेट का असली स्वर्ण युग शुरू हो चुका था।

सचिन से विराट तक का युग

90 के दशक में सचिन तेंदुलकर नाम का सितारा उभरा। उनकी बल्लेबाजी देखकर लोग टीवी से चिपक जाते थे। फिर आया 2000 का दशक। सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग जैसे धाकड़ खिलाड़ी टीम में आए।

2007 में टी20 वर्ल्ड कप जीतकर भारत ने दिखाया कि वो नए फॉर्मेट में भी टॉप पर रह सकता है। फिर 2011 में एम. एस. धोनी की कप्तानी में भारत ने 28 साल बाद एक बार फिर वर्ल्ड कप जीता। वो धोनी का हेलिकॉप्टर शॉट, जिसने करोड़ों भारतीयों को झूमने पर मजबूर कर दिया!

इसके बाद विराट कोहली, रोहित शर्मा, जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट की नई पहचान बने। अब भारत सिर्फ एक क्रिकेट खेलने वाला देश नहीं, बल्कि क्रिकेट की महाशक्ति बन चुका है।

आईपीएल: पैसा, ग्लैमर और धमाका

2008 में आईपीएल आया और क्रिकेट का चेहरा ही बदल दिया। अब क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं, बल्कि मनोरंजन और बिजनेस बन गया। दुनिया भर के खिलाड़ी इस लीग में खेलने के लिए लालायित रहते हैं। आईपीएल ने न सिर्फ नए टैलेंट को मौका दिया, बल्कि क्रिकेट को और भी ग्लैमरस बना दिया।

आज का दौर और भविष्य

अब भारतीय टीम दुनिया की किसी भी टीम को धूल चटाने की ताकत रखती है। युवा खिलाड़ियों की नई फौज तैयार है। तकनीक, फिटनेस और रणनीति के मामले में भारत सबसे आगे है।

आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट और ऊंचाइयों को छुएगा। नए खिलाड़ी, नई रणनीतियां और नए रिकॉर्ड – भारतीय क्रिकेट का सफर अभी लंबा है। तो अगली बार जब आप गली में बल्ला उठाएं, तो याद रखिए, आप सिर्फ क्रिकेट नहीं खेल रहे, बल्कि एक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं!